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Old 12-07-2015, 04:58 PM   #3
soni pushpa
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Default Re: ये कैसी भक्ति है ?

[QUOTE=rajnish manga;553008]मुझे आपके निरीक्षण की तारीफ़ करनी पड़ेगी, बहन पुष्पा जी. आपने बहुत गौर से मंदिरों में भक्तों के व्यवहार को देखा है और एक एक बात को नोट किया है तथा इसे बड़े रोचक तरीके से बताया है. मूर्तियों का जलाभिषेक हो या मूर्तियों पर चन्दन का लेप अथवा तिलक लगाना हो या फिर देवता को अक्षत चढ़ाना हो, या फिर देवता को भोग लगाना हो, इन सब क्रियाकलाप में हर जगह भक्ति कम और दुर्दशा अधिक दिखाई देती है. इस संबंध में मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ. इस व्यवहार के पीछे भक्तों का अतिउत्साह होता है या उनका मनमानापन, कहना मुश्किल है. हाँ, यह अवश्य है कि किसी तटस्थ पर्यवेक्षक को यह अगर हास्यास्पद नहीं तो अजीब ज़रूर लगेगा. हम लोग न तो मंदिर को साफ़-सुथरा बनाये रखने की ओर ध्यान देते हैं और न पूजापाठ के दौरान संयत रह पाते हैं. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि यह किसी एक मंदिर की नहीं बल्कि कमोबेश हर मंदिर का यही हाल है. सिर्फ उन मंदिरों में जहां वालंटियर्स तैनात रहते हैं और जहाँ प्रसाद भी कीमत देकर खरीदना पड़ता है, वहाँ आम तौर पर व्यवस्था व सफ़ाई देखने को मिलती है.

यदि भक्तजन यह समझ लें कि उनके द्वारा चढ़ाया गया दूध अंततः नालियों में ही जाना है, तो इसे ज़रूरतमंद बच्चों में वितरित कर देना कहीं अधिक श्रेष्ठ व पुण्य देने वाला होगा. ऐसा ही भगवान् को भोग लगाने के पश्चात् बचे हुये फलों व अन्य खाद्य पदार्थों का वितरण भी हो जाये तो बहुत अच्छा हो. जरुरत इस बात की है कि भक्ति में दिखावा न हो और ऐसा कुछ न किया जाये जिससे अंधविश्वास को बढ़ावा मिले. सामर्थ्यवान भक्तों को चाहिए कि वे समय निकाल कर मानवता की निस्वार्थ सेवा में भी तत्पर हो कर अपने तन-मन-धन का सदुपयोग करते हुये पुण्य के भागी बने. यही ईश्वर की सच्ची भक्ति होगी. [/size] [/font]


सबसे पहले इस लेख को इतना ध्यान से पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद भाई ,... कई बार लोगों के क्रिया कलाप भक्ति को लेकर इतने अजीब होते हैं की न चाहते हुए भी उस और ध्यान चला जाता है और भगवन की मूर्ति पर दूर से फेकते नारियल को देखकर मन दुखित होता है की यदि आपके पास समय नहीं है इतना की आप मंदिर में कुछ पलों तक का इंतजार नहीं कर सकते तो मंदिर जाना ही नहीं चहिये अपितु घर में ही वो नारियल भगवन को चढ़ा दें ताकि शिवप्रतिमा खंडित होने से बचे इस तरह के भक्ति भाव शायद भगवन को भी महंगे पड़ते हैं और आप पुण्य के बदले पाप के भागिदार बनते हो ये सब बातें एइसे दृश्य देखने के बाद मेरे मन में आई और बस यह बात आप सबसे शेयर कर दी ..
आपने सही कहा सामर्थ्यवान भक्त इसी तरह से गरीब लाचार और दुखियों की सेवा से भगवन की पूजा का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं
.पुनः आभार के साथ धन्यवाद भाई .
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