Re: भारतीय स्त्री की व्यथा
अनिल भेइया आप की लेखनी के धार से में परिचित हूँ
आप तो सुरु करे गडपति बाप्पा का नाम ले के
सब को सभी काल की बातें पता है कुछ नयी बातों की जानकारी आप के इस गुढ विषय में मिल सकती है
मित्रों बहोत कुछ नहीं बदला है जरुरत और हिम्मत हो तो हमें अपने आस पास के माहोल को बारीक़ से देखने की जरुरत है अपनी अंतर आत्मा की आवाज को सुनना है कितने जाने ली गयी गोत्र के नाम पे इसी २१वि सदी में ,आज बलात्कार का संख्या को धयान दे जब की सभी जगह वेश्या वृति के स्तन तय है थोड़ी बहोत बदलाव को बदलाव नहीं कहते
ओह अनिल भेइया सोरी
आप के सूत्र की सफलता की अग्रिम बधाई
में भी कुछ आप की आज्ञान से इस में चिपकाने की कोशीश करूँगा
इन्कलाब जिंदाबाद
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तोडना टूटे दिलों का बुरा होता है
जिसका कोई नहीं उस का तो खुदा होता है
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