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Originally Posted by dev b
मित्र ...मेरे विचार से तो व्यक्तिगत हित होने ही नहीं चाहिए बल्कि पति और पत्नी को एक दुसरे की हितो की चिंता करनी चाहिए ....यही तो प्यार है , यही तो भावनाए है , यही जिंदगी है प्रिय मित्र
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ये तो आदर्शों वाली बात हुयी. सवाल यहाँ यह है की इस आदर्श को आप अरेंज मेरिज में कैसे निभाएंगे खास कर जब आजकल दोनों पक्ष पढ़े लिखे, आत्मनिर्भर और ज्यादा जागरूक होते हैं? यह बात तो मैं भी मानती हूँ कि किसी भी रिश्ते में आपसी समझ और एक दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखना महत्वपूर्ण होता है परन्तु उस understanding को विकसित होने में समय लगता है. जिसकी हो गयी उसके लिए अच्छा जिस की नहीं हो पायी उसके लिए तो साथ न ही रहना बेहतर है.