Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
आज हम कितने भयभीत हो चुके हैं , इतने भयभीत कि किसी का छोटा सा सन्देश भी हमें मजबूर कर देता है ऐसे काम करने के लिये जिसके बारे में हमें अच्छे से पता है कि ये मूर्खतापूर्ण है। ऐसा हो ही नहीं सकता फिर भी भय इतना होता है मन में कि हम अपने विवेक को उपेक्षित कर देते हैं ।
अक्सर आपके पास ऐसे सन्देश आते होंगे कि - "इस सन्देश को नौ लोगों को भेजें आपको कोई अच्छी खबर मिलेगी , और अगर आप नहीं भेजेंगे तो कुछ बुरा होगा" ।
और आप में से कुछ लोग इस भय से कि कहीं आपके साथ कुछ बुरा ना हो जाये , ऐसे सन्देशों को आगे भेज भी देते होंगे। हम नहीं सोचते कि कैसे कोइ एक सन्देश हमारी किस्मत बना या बिगाड सकता है ? हम नहीं सोचते कि जाने-अन्जाने हम अन्धविश्वास को बढावा दे रहे हैं । सोचिये कि आपने तो वो सन्देश आगे नौ लोगों को भेज दिया पर जिन नौ लोगों को आपने वो सन्देश भेजा है , वो आगे उस सन्देश को नौ और लोगों को नहीं भेज पाये तब? उनके मन में एक भय बैठ जायेगा , कि अब उनके साथ जरूर कुछ बुरा होगा । और क्या पता वो भय उनके लिये आगे जाकर अवसाद का कारण बन जाये ? क्या तब ये गुनाह नहीं होगा , क्या उनके उस अवसाद की एक वजह आप नहीं होंगे?
हम कितने विवेकहीन हो गये हैं , बिना सोचे कि कोई एक सन्देश हमारे जीवन में क्या होगा और क्या नहीं , अच्छा होगा या बुरा , ये कैसे निर्धारित कर सकता है , हम भेड्चाल का हिस्सा बन जाते हैं और अन्जाने में अन्धविश्वास को बढावा देते हैं ।
एक बात हमेशा याद रखिये अगर आप सही हैं तो कोई भी आपका अहित नहीं कर सकता और अगर आप गलत हैं तो कोई भी आपके लिये मददगार नहीं हो सकता । इसलिये बिना किसी भय के जीवन जियें , अच्छे कर्म करें और किसी का भी अहित न सोचें (उनका भी नहीं जिन्होंने आपका अहित किया हो) याद रखें What goes around Comes around , इसलिये सिर्फ खुद के कर्मों क ध्यान रखें , बाकि यहाँ न्याय सभी के साथ होता ही है , चाहे जल्दी या कुछ देर से ।
और हाँ ना ही खुद ऐसे सन्देश लोगों को भेजें , और ना ही दूसरों को भेजने दें ।
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