Re: !! कुछ गजलें !!
चला इक दिन जो घर से पान खा कर
तो थूका रेल की खिड़की से आकर
मगर जोशे हवा से चाँद छींटे
परे रुखसार पे इक नाजनीन के
रुखसार ..... गाल
हुई आपे से वो फ़ौरन ही बाहर
लगी कहने अबे ओ खुश्क बन्दर
ज़बान को रख तू मुंह के दाएरे में
हमेशा ही रहे गा फायदे में
बहाने पान के मत छेड़ ऐसे
यही अच्छा है मुझ से दूर रह ले
तेरी सूरत तो है शोराफा के जैसी
तबियत है मगर मक्कार वहशी
shorafaa .... shareefon ,,,,, wahshi ... darindah
कहा मैं ने कहानी कुछ भी बुन लें
मगर मोहतरमा मेरी बात सुन लें
खुदा के वास्ते कुछ खोफ खाएं
ज़रा सी बात इतनी न बढ़ाएं
नहीं अच्छा है इतना पछताना
मुझे बस एक मौका देदो जाना
ज़बान को अपनी खुद से काट लूँ गा
जहां थूका है उस को चाट लूंगा
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."
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Last edited by Sikandar_Khan; 10-12-2010 at 06:47 PM.
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