Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (1 मार्च/March 1)
सोहन लाल द्विवेदी /Sohan Lal Dwivedi
(22.2.1906 – 1.3.1988)
सोहनलाल द्विवेदी महान गाँधीवादी चिन्तक, राष्ट्रीय कवि तथा स्वतंत्रता सैनिक थे। वे राष्ट्रीय नवजागरण के ऐसे कवियों में से एक थे जिन्होंने अपने संकल्प, चिन्तन, त्याग और बलिदान के सहारे हर ओर राष्ट्रीयता की अलख जगाकर अपने पूरे युग को आन्दोलित किया। द्विवेदी जी का साहित्य वर्तमान और अतीत के प्रति गौरव की भावना जगाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए देश-भक्ति व ऊर्जा से ओतप्रोत उनकी रचनाओं की विशेष सराहना हुई और आपको राष्ट्रकवि की उपाधि से भी अलंकृत किया गया। 1969 में भारत सरकार ने आपको पद्दश्री अलंकरण दे कर सम्मानित किया था।
द्विवेदी जी की साहित्यिक कृतियां: देश प्रेम के भावों से युक्त आपकी प्रथम रचना 'भैरवी' 1941 में प्रकाशित हुई । आपकी अन्य प्रकाशित कृतियां हैं- 'वासवदत्ता', 'कुणाल 'पूजागीत', 'विषपान, 'युगाधार और 'जय गांधी' । इनमें आपकी गांधीवादी विचारधारा और खादी-प्रेम की मार्मिक और हृदयग्राही अभिव्यक्ति के दर्शन होते हैं । आपने प्रचुर मात्रा में बाल साहित्य की भी रचना की । उनमें प्रमुख हैं- 'बांसुरी', 'झरना', 'बिगुल', 'बच्चों के बापू, 'चेतना', 'दूध बताशा, 'बाल भारती, 'शिशु भारती', 'नेहरू चाचा' 'सुजाता', 'प्रभाती' आदि। कुछ पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी उन्होंने किया।
1 मार्च 1988 को राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी चिर निद्रा में लीन हो गए।
कुछ लोग निम्न कविता को हरिवंश राय बच्चन की रचना मानते है लेकिन यह सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित है:
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|