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Old 08-01-2015, 12:16 PM   #21
Arvind Shah
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Default Re: मानव जीवन और मूश्किले बनाम सरलताये





चर्चा का विषय ऐसा था कि जो हम सबके जीवन से सम्बन्ध रखता है. सभी लोगों ने यहाँ अपने जीवन के निचोड़ स्वरुप बहुत सारगर्भित विचार रखे. अरविंद जी और देवराज जी के सुन्दर विचारों के साथ साथ पुष्पा सोनी जी, पवित्रा जी तथा कुकी जी ने चर्चा को जीवंत बनाये रखा. इनके बीज विचारों को मैंने ऊपर quote किया है. यह खुशी की बात है कि हम अपने अनुभव संसार से ऐसे ऐसे विचार ला कर आपस में बांटते है जिससे सभी लोग लाभान्वित हों. [/QUOTE]


बिल्कुल सही फरमाया !

असल में जिस कहानी के सनदर्भ में सूत्र रचना हुई उसके बाबत यहां ज्यादा खुलासा नहीं हुआ है कि किस तरह की परिसिथतिया रही है ?

हर एक को अपना दुख बड़ा ही लगता है ! मुद्दा छोटे या बडे दुख का नहीं है वरन उससे हम किस तरह निजात पाते है ! किन उम्मीदो का सहारा लेते है ! ... और सामान्यत: हर एक के लिए ये बात लागु होती है कि .. जिसकी फटी ना बिवाई वो क्यां जाने पीर पराई !! इसलिए मैं मानता हूं कि कहानी के पात्र को जरूर गंभीर दुखों से गुजरना पड़ा होगा !

....समस्या है तो समाधान भी अवश्य होगा !!
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