Re: नौ साल छोटी पत्नी
'आप कुछ सोच रहे हैं।’ तृप्ता क्रोशिए पर दृष्टि गड़ा कर बोली, ‘क्या सोच रहे हैं?’
कुशल ने कुछ सोचने की कोशिश की और कल्पित प्रेमिका का पुराना किस्सा ले बैठा, बोला ‘दरअसल मुझे शीला याद आ रही थी। जब मैं हँसता था, तो वह भी तुम्हारी तरह टोक देती थी। जब मैं सिगरेट पीता था, वह मुझसे दूर जा बैठती थी। जब कभी उसके घर जाता तो नौकर को भेज कर सिगरेट मँगवा देती। अजीब लड़की थी शीला....।’
कुशल ने सिगरेट सुलगाया और खाली पैकेट नाटकीय अंदाज में दूर फेंक दिया। तृप्ता ने क्रोशिए से आँखें नहीं उठायीं। कुशल ने तृप्ता को लक्षित करके धुएँ का एक गहरा बादल उसकी ओर फेंका। उसे आशा थी कि ताजी लिपिस्टिक पर थोड़ा-सा धुआँ जरूर जम जायेगा। अपनी बात का प्रभाव न होते देख उसने बात आगे बढ़ायी कि कैसे वह शीला के साथ पिकनिक पर जाया करता था। और...
'बस... बस मैं और नहीं सुनूँगी।’ तृप्ता ने क्रोशिये से आँखें उठा कर कुशल की ओर अविश्वासपूर्वक देखते हुए कहा, ‘आप मेरा बेवकूफ बना रहे हैं।’
कुशल ने एक लम्बा कश लिया और बोला, ‘अच्छा, अब तुम मेरा बेवकूफ बनाओ।’ इस बार उसने नाक से धुआँ छोड़ा। तृप्ता को चुप देख कर उसने कहा, ‘बनाओ भी।’
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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