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ट्रेनों के लिए प्रोफेसर ने बेहतर शौचालय विकसित करने का दावा किया
नई दिल्ली। रेलवे की ओर से यात्री ट्रेन के डिब्बों में डीआरडीओ द्वारा निर्मित जैव शौचालयों का इस्तेमाल किए जाने की तैयारियों के बीच पुणे के एक प्रोफेसर ने ज्यादा कारगर और किफायती हरित शौचालय विकसित करने का दावा किया है। यह नकदी के संकट से जूझ रहे संगठन के लिए संसाधनों को बचाने में मददगार साबित होगा। सिंहगढ़ डेंटल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख राजीव सक्सेना ने कहा कि उनके और उनके छात्रों द्वारा विकसित की गई प्रौद्योगिकी भारतीय परिस्थितियों में काम करेगी। प्रोफेसर ने दावा किया, रेलवे ने जिस प्रौद्योगिकी को अपनाया है वह बदलती मौसमी दशाओं के कारण कारगर तरीके से काम नहीं कर सकती है। लेकिन हमने जो प्रौद्योगिकी विकसित की है वह हर तरह के मौसम में और बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के काम करती है। उन्होंने कहा कि वह रेलवे के समक्ष प्रस्तुति देने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रौद्योगिकी के तहत डिब्बे के नीचे कंटेनर लगाया जाएगा, जिसमें थर्मल प्लेट लगे होंगे जो मल को गर्म करेगा और सभी जीवाणुओं को नष्ट करेगा। बची सामग्री एक पाइप के जरिए पहिए के निकट लगे कंटेनर में चली जाएगी और ट्रेन के वाशिंग यार्ड में पहुंचने पर उसे खाली कर दिया जाएगा। सक्सेना ने कहा कि अपशिष्ट पदार्थ का खाद या बायो गैस संयंत्र में बिजली पैदा करने में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे रेलवे को धन जुटाने की प्रक्रिया में मदद मिलेगी।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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