View Single Post
Old 09-04-2012, 09:20 PM   #6127
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: एकदम ताज़ा ख़बरें

98 वर्षीय पूर्व केंद्रीय मंत्री की मानसिक स्थिति का पता लगाने के लिए चिकित्सा बोर्ड के गठन का आदेश

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने आज भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक से 98 वर्षीय पूर्व केंद्रीय मंत्री शीला कौल की मानसिक स्थिति का परीक्षण करने के लिए वरिष्ठ डाक्टरों का एक बोर्ड गठित करने का आदेश दिया । कौल के खिलाफ अदालत को 1996 के एक हाउसिंग घोटाला मामले में आरोप तय करना है। विशेष सीबीआई न्यायाधीश प्रदीप चड्डा ने कहा, ‘‘आपसे (एम्स निदेशक से) चिकित्सा विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों के वरिष्ठ डाक्टरों का एक मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा जाता है जो उनकी जांच करेगा और अपनी राय देगा कि क्या वह अपने खिलाफ अदालती सुनवाई समझ पाएंगी और क्या वह अस्वस्थ मानसिक और शारीरिक स्थिति की हैंं।’’ अदालत ने 30 अप्रैल तक रिपोर्ट मांगी है। कौल के वकील ने कहा था कि उनकी मुवक्किल अदालती सुनवाई समझने की स्थिति में नहीं है और उनकी मानसिक स्थिति के बारे में रिपोर्ट करने के लिए एक बोर्ड बनाया जाए। अदालत ने पांच फरवरी को उनके और उनके दो पूर्व सहयोगियों-राजन लाला और निजी सहायक आर के शर्मा के खिलाफ आरोप तय करने का फैसला किया था। अदालत ने आरोप तय करने के लिए मामले की सुनवाई 17 फरवरी के लिए स्थगित कर दी थी लेकिन कौल के पेश नहीं पाने पर उसने ऐसा करना टाल दिया था। सीबीआई ने अप्रैल, 2003 में दायर अपने आरोप पत्र में कहा था कि कौल और उनके दो निजी कर्मचारियों को 1992 और 1995 के बीच अधिकारियों से धनसंबंधी लाभ लेकर उन्हें बिना बारी के सरकारी आवास आवंटन किया था। तीनों ने कथित रूप से सरकारी कर्मचारियों से आवास के संबंध में सीधे ही आवेदन लिए थे और मंत्री ने संपदा निदेशालय की आपत्ति पर बिना विचार किए आदेश जारी किए थे। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। शीर्ष न्यायालय ने वकील शिव सागर तिवारी की एक जनहित याचिका यह आदेश जारी किया था।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote