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Old 15-11-2012, 05:26 PM   #25
amol
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amol is a jewel in the roughamol is a jewel in the roughamol is a jewel in the rough
Default Re: रामचर्चा :: प्रेमचंद

लक्ष्मण—कहीं इस भरोसे मत रहियेगा। आप फूंककर पहाड़ नहीं उड़ा सकते। आप बराह्मण हैं इसलिए आपके ऊपर दया आती है। शायद अभी तक आपका किसी क्षत्रिय से पाला नहीं पड़ा। जभी आप इतना बफार रहे हैं।
रामचन्द्र ने देखा कि बात ब़ती जा रही है, तो लक्ष्मण का हाथ पकड़कर बिठा दिया और परशुराम से हाथ जोड़कर बोले—महाराज! लक्ष्मण की बातों का आप बुरा न मानें। यह ऐसा ही धृष्ट है। यह अभी तक आपको नहीं जानता, वरना यों आपके मुंह न लगता। इसे क्षमा कीजिये, छोटों का कुसूर बड़े माफ किया करते हैं। आपका अपराधी मैं हूं, मुझे जो दण्ड चाहें, दें। आपके सामने सिर झुका हुआ है। रामचन्द्र की यह आदरपूर्ण बातचीत सुनकर परशुराम कुछ नर्म पड़े कि एकाएक लक्ष्मण को हंसते देखकर फिर उनके बदन में आग लग गयी। बोले—राम! तुम्हारा यह भाई अति धृष्ट है। विनय और शील तो इसे छू तक नहीं गया। जो कुछ मुंह में आता है, बक डालता है। रंग इसका गोरा है। पर दिल इसका काला है। ऐसा अशिष्ट लड़का मैंने नहीं देखा।
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