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Old 23-08-2014, 10:46 PM   #63
rajnish manga
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Default Re: मेरी कहानियाँ!!!

“देखो, स्वप्न के आने पर तुम्हारा कोई नियंत्रण नहीं है,” डॉ. दास बोले, “इससे भयभीत होने की जरूरत भी नहीं है. होता क्या है कि व्यक्ति के अवचेतन मन के भाव हमें कहीं न कहीं मथते रहते हैं. जागृत अवस्था में यह सभी भाव जैसे परदे के पीछे चले जाते हैं और हमें दिखाई नहीं पड़ते. जब हम सो जाते हैं तो यही भाव-संसार हमारे सम्मुख आ खड़ा होता है. इन्हीं मनोभावों की प्रकृति व तीव्रता के अनुसार हमारे स्वप्नों का संसार रचा जाता है. सपनों में दिखाई देने वाले तमाम घटनाक्रम, हमारी मानसिक अवस्था का ही अक्स होते हैं जहां वास्तविकता का संकेत रूप में या विकृत रूप में प्रतिरूपण होता है. तनावों से घिरे हुये व्यक्ति के स्वप्न भी कभी कभी उसे कष्ट देते हुये प्रतीत होते हैं. स्वप्न वास्तविकता नहीं होता लेकिन कई बार हमें वास्तविक लगने लगता है. तब यही स्वप्न हमारे चेतन मन पर हावी होने लगता है. ऐसी स्थिति में हमारे डरावने स्वप्न, जिन्हें हम नाईटमेयर (nightmares) के नाम से भी जानते हैं, हमारी चेतना को झकझोर डालते हैं. इनके प्रभाव से हमारा व्यवहार बुरी तरह प्रभावित होने लगता है.”

“अंकल, मैं यह पहले ही बता चुकी हूँ कि मैं कायर नहीं हूँ और न कायरता मेरे स्वभाव में कभी रही है. मैंने जीवन की हर चुनौती का दृढ़ता से मुकाबला किया है और आगे बढ़ी हूँ. लेकिन डॉक्टर, वह वातावरण, बादलों की गड़गड़ाहट, बिजली का लपक कर मुझ पर गिरना और फिर सब स्वाहा .... मैं हड़बड़ा का नींद से उठ बैठती हूँ. सच में यह दृश्य बेहद सिहरनभरा होता है.”
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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