Re: मेरी कहानियाँ!!!
“ठीक है, ठीक है,” डॉक्टर दास शशि से पूछने लगे, “आज कोई खास बात तुम्हारे देखने में आयी हो?”
“हाँ, डॉक्टर अंकल, कल रात मुझे किसी विचार ने तंग नहीं किया. कोई सपना भी नहीं, कोई डरावना ख़याल मुझ तक नहीं पहुंचा!!”
“अर्थात कल रात तुम्हे कोई स्वप्न नहीं आया?” डॉक्टर दास ने पूछा.
“हाँ सर, मुझे अच्छी नींद भी आयी.”
“वैरी गुड, मैं देख रहा हूँ कि तुम सही दिशा में अग्रसर हो रही हो. हमारे इंटरव्यू सेशंस का असर पड़ रहा है. कुछ दिनों में मैं भी अपना ऑब्ज़रवेशन पूरा कर लूँगा. उसके बाद मैं तुम्हें कुछ और बता पाऊंगा. विश्वास करो कि उसके बाद तुम्हे ये डरावने स्वप्न कभी परेशान करने नहीं आयेंगे.”
“थैंक यू वैरी मच, सर ... थैंक यू वैरी मच ... डॉक्टर अंकल.”
इस प्रकार डॉक्टर दास ने परस्पर वार्ताओं के माध्यम से शशि के अंतर्मन में उतर कर वो सभी आवश्यक सूत्र ढूंढ निकाले थे जिनके आधार पर शशि को उसके कष्ट से मुक्ति दिलाई जा सकती थी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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