Re: मेरी कहानियाँ!!!
अगले दिन .....
“हेल्लो बेबी, तो आज मम्मी को साथ लेकर आई हो ... नोमोस्कार ... बहन जी,” डॉ. दास बंगला लहज़े में बोले, “बैठिये ... कृपया.”
“शशि आपकी बहुत प्रशंसा कर रही थी. अतः आपका धन्यवाद करने मुझे आना ही पड़ा.”
“धन्यवाद ... धन्यवाद ... आपकी बेटी तो डरपोक है ..”
डॉ. दास की इस बात पर सभी ने ठहाका लगाया.
“डॉक्टर अंकल, क्या आज यह नहीं पूछेंगे कि मैंने बीती रात क्या देखा?”
“अवश्य जानना चाहूँगा, बेटा. बताइये”
“आज भी स्वप्न में बिजली गिरी थी. लेकिन आज बिजली मुझ पर नहीं गिरी.”
“तो .... ?”
“एक सूखे हुये पेड़ पर ... “ यह कहते हुये शशि एक छोटी बच्ची की तरह हँसने लगी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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