24-01-2014, 08:18 PM
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Re: मो.रफी के सदाबहार गीतों का खजाना :.........
मित्रों आइये जाने पहले रफी साहब के बारे में :.........
मन्नाडे और तलत महमूद के साथ :
नौशाद ने तलत महमूद को सिगरेट पीने के कारण रिजेक्ट कर दिया रफी को ले लिया :
1951 में जब नौशाद फ़िल्म बैजू बावरा के लिए गाने बना रहे थे तो उन्होने अपने पसंदीदा गायक तलत महमूद से गवाने की सोची थी। कहा जाता है कि उन्होने एक बार तलत महमूद को धूम्रपान करते देखकर अपना मन बदल लिया और रफ़ी से गाने को कहा। बैजू बावरा के गानों ने रफ़ी को मुख्यधारा गायक के रूप में स्थापित किया। इसके बाद नौशाद ने रफ़ी को अपने निर्देशन में कई गीत गाने को दिए।
संगीतकार जोड़ी शंकर-जयकिशन को उनकी आवाज पसंद आयी और उन्होंने भी रफ़ी से गाने गवाना आरंभ किया। शंकर जयकिशन उस समय राज कपूर के पसंदीदा संगीतकार थे, पर राज कपूर अपने लिए सिर्फ मुकेश की आवाज पसन्द करते थे। बाद में जब शंकर जयकिशन के गानों की मांग बढ़ी तो उन्होंने लगभग हर जगह रफ़ी साहब का प्रयोग किया। यहाँ तक की कई बार राज कपूर के लिए रफी साहब ने गाया।
संगीतकार सचिन देव बर्मन तथा उल्लेखनीय रूप से ओ पी नैय्यर को रफ़ी की आवाज़ बहुत रास आयी और उन्होने रफ़ी से गवाना आरंभ किया।
ओ पी नैय्यर का नाम इसमें स्मरणीय रहेगा क्योंकि उन्होने अपने निराले अंदाज में रफ़ी-आशा की जोड़ी का काफी प्रयोग किया और उनकी खनकती धुनें आज भी उस जमाने के अन्य संगीतकारों से अलग प्रतीत होती हैं। उनके निर्देशन में गाए गानो से रफ़ी को बहुत ख्याति मिली।
अन्य संगीतकारों
रवि, मदन मोहन, गुलाम हैदर, जयदेव, सलिल चौधरी इत्यादि संगीतकारों की पहली पसंद रफ़ी साहब बन गए। :.........
स्रोत :.........
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