Re: गुरुदत्त की फिल्म प्यासा
एक दिन विजय पार्क में बैठा है, तभी उसके साथ पढ़ी पुष्*पलता (टुनटुन) से उसकी मुलाकात होती है. पुष्*पलता विजय से कहती है, ‘आज शाम कॉलेज में जलसा है, साथ के पढ़े लोग आएंगे, तुम भी ज़रूर आना’. शाम को विजय कॉलेज के जलसे में पहुंचता है. वहां विजय अपनी कॉलेज के दिनों की प्रेमिका मीना (माला सिन्हा) से टकराता है. लोग विजय से शायरी सुनाने को कहते हैं. विजय कविता शुरू करता है. ‘तंग आ चुके हैं कश्मकश-ए-ज़िंदगी से हम… ठुकरा न दें जहां को कहीं बेदिली से हम’.
तभी दर्शकों में शामिल एक आदमी चीख़ता है, ‘ख़ुशी के मौक़े पे क्*या बेदिली का राग छेड़ा हुआ है… कोई ख़ुशी का गीत सुनाइए!’. एक पल को ठहरा हुआ विजय गाता है, ‘हम ग़मज़दा हैं… लाएं कहां से ख़ुशी के गीत… देंगे वही जो पाएंगे इस ज़िंदगी से हम… उभरेंगे एक बार अभी दिल के वलवले… माना कि दब गए हैं ग़म-ए-ज़िंदगी से हम… लो, आज हमने तोड़ दिया रिश्*ता-ए-उम्*मीद… लो, अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम…’.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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