Re: //////इर्ष्या ///////
ईर्ष्या एक कमज़ोर इंसान के मन की स्वाभाविक भावना है। जब कोई इंसान अपने आप को किसी की तुलना में ,किसी भी रूप में कमतर पाता है तो उसके मन में ईर्ष्या अपने आप आजाती है। अगर कोई इंसान अपने आप से और अपने हालात से संतुष्ट है और वो जैसे भी है उसमें खुश है तो उसे किसी से भी ईर्ष्या नहीं होगी। इसीलिए कहते हैं संतोषी सदा सुखी।
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