कौशिक जैसे ही घर पहुंचता है, घर में कुछ तोडफोड देख कर घबरा जाता है। कमलेश वह रो रही थी और उसके कपडे कहीं कहीं से फटे हुए थे। वह बताती है की राजपाल कुछ देर पहले आया था और उसने उसकी ईज्जत लुट ली।
गुस्से से पागल कौशिक अपनी बंदूक ले कर निकलता है । कमलेश के रोकने पर भी वह रुकता नहीं है।
राजपाल के घर में जा धमक कर उसने राजपाल को बंदूक दिखा कर ललकारा। राजपाल के पिता जो फैक्टरी के मालिक भी थे उनको बताया की कैसे राजपाल ने सबको धोका दिया, सत्यप्रकाश को जेल भिजवाया। फिर यह कह कर की उसकी बेटी की ईज्जत भी लुटी है....राजपाल पर फायर कर दिया।
लेकिन बीच में राजपाल की सगर्भा नौकरानी आ गई। नवीन को शायक कमलेश ने बताया होगा, सो दोनो साथ साथ यहां पहुंच गए। नवीन ने झपट कर बंदुक छीन ली और डोक्टर को फोन कर दिया।
तब तक कौशिक अपने किए पर यह कह कर रोता रहा की पैसों की लालच में उसने किस तरफ अपनी बेटी को ईस जानवर के आगे पेश करता रहा।
कमलेश तब यह राज़ उजागर करती है की राजपाल के साथ हाथापाई जरुर हुई थी लिकिन वह अपने ईरादों में कामियाब नहीं हो पाया था, और वह भाग निकला था। वह यही जताना चाहती थी के उसके माता-पिताने उसे जिस तरह हंमेशा पैसों के पीछे जाना सिखाया, राजपाल को ठगना सिखाया सब गलत था और परिणाम भयंकर हो सक्ते थे।
वहां राजपाल भी शर्मिंदा है की नौकरानी ने उसे बचा लिया। वह सबके सामने नौकरानी से शादी करने को मान जाता है।
डोक्टर आ के देखता है की गोली बांह में लगी थी और फिकर करने की कोई जरुरत नहीं। घरेलु सबंध के कारण वह पुलिसकेस भी नहीं करता।