बिहार का इतिहास
बिन्दुसार (२९८ ई. पू. से २७३ ई. पू.)- यह चन्द्रगुप्त मौर्य का पुत्र व उत्तराधिकारी था जिसे वायु पुराण में मद्रसार और जैन साहित्य में सिंहसेन कहा गया है । यूनानी लेखक ने इन्हें अभिलोचेट्*स कहा है । यह २९८ ई. पू. मगध साम्राज्य के सिंहासन पर बैठा । जैन ग्रन्थों के अनुसार बिन्दुसार की माता दुर्धरा थी । थेरवाद परम्परा के अनुसार वह ब्राह्मण धर्म का अनुयायी था ।
बिन्दुसार के समय में भारत का पश्*चिम एशिया से व्यापारिक सम्बन्ध अच्छा था । बिन्दुसार के दरबार में सीरिया के राजा एंतियोकस ने डायमाइकस नामक राजदूत भेजा था । मिस्र के राजा टॉलेमी के काल में डाइनोसियस नामक राजदूत मौर्य दरबार में बिन्दुसार की राज्यसभा में आया था ।
दिव्यादान के अनुसार बिन्दुसार के शासनकाल में तक्षशिला में दो विद्रोह हुए थे, जिनका दमन करने के लिए पहली बार अशोक को, दूसरी बार सुसीम को भेजा
प्रशासन के क्षेत्र में बिन्दुसार ने अपने पिता का ही अनुसरण किया । प्रति में उपराजा के रूप में कुमार नियुक्*त किए । दिव्यादान के अनुसार अशोक अवन्ति का उपराजा था । बिन्दुसार की सभा में ५०० सदस्यों वाली मन्त्रिपरिषद्* थी जिसका प्रधान खल्लाटक था । बिन्दुसार ने २५ वर्षों तक राज्य किया अन्ततः २७३ ई. पू. उसकी मृत्यु हो गयी ।
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Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||
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