जाड़ा
जाड़ा
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ठिठुर ठिठुर कर जाड़े में हम
क्या बतलाएँ भाई
थर थर थर थर कांप रहे हैं
जमने लगी रजाई
जो जितना कमजोर उसे यह
उतना ही तड़पाकर
मार रहा है जाड़ा देखो
बन्दूकें लहराकर
जाड़े का नेता बहुमत में
लगता है अब आकर
तानाशाह बना है देखो
सारी गरमी खाकर
सूरज को तुम दे दो कम्बल
शीतलहर है जारी
चन्दा को अँगीठी दे दो
हमको कपड़े भारी
रचना- आकाश महेशपुरी
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वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी"
ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर, उत्तर प्रदेश
पिन- 274304, मो- 9919080399
Last edited by आकाश महेशपुरी; 17-01-2019 at 06:32 PM.
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