चाणक्यगीरी : निर्वहण-अंश
कालिदास और विद्योत्तमा के विवाह की कहानी से कौन परिचित नहीं है? विद्योत्तमा द्वारा कालिदास को राजमहल से निकाले जाने के बाद की कहानी सिर्फ़ कालिदास के इर्द-गिर्द ही घूमती है, कहीं पर भी साहित्य की प्रकाण्ड विद्वान विद्योत्तमा का ज़िक्र नहीं है। इस प्रकार इतिहासकारों ने विद्योत्तमा के साथ बहुत अन्याय किया। यह कमी हमें कई वर्षों से खटक रही थी। अतः हमने निर्णय लिया कि इन ऐतिहासिक पात्रों को आधार बनाकर एक हास्य कहानी लिखेंगे और कहानी में हर जगह विद्योत्तमा का पात्र डालकर हम कालिदास से जबरदस्त बदला लेंगे। एक बार फिर हम अपने पाठकों को स्मरण दिला दें कि 'चाणक्यगीरी' सूत्र ऐतिहासिक पात्रों विद्योत्तमा, कालिदास, चाणक्य और वाल्मीकि को आधार बनाकर लिखी गई हमारी काल्पनिक हास्य कहानी 'आइ एम सिंगल अगेन' के प्रोमोशन के लिए बनाया गया है तथा 'चाणक्यगीरी' लिखने के लिए हमने 'चाणक्यगीरी नोट्स' बनाया है। इसी प्रकार सम्पूर्ण कहानी का निर्वहण (denouement) लिखने के लिए हमने 'चाणक्यगीरी- निर्वहण अंश' बनाया है। अब आगे पढ़िए 'चाणक्यगीरी- निर्वहण अंश'-
कालिदास से बदला लेने के उद्देश्य से हमने अपनी कहानी 'आइ एम सिंगल अगेन' में कालिदास का वर्णन बहुत कम किया, फिर भी ऐतिहासिक कहानी होने के कारण इतिहास में उल्लिखित तथ्यों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। यही कारण था- हमारी हास्य कहानी 'आइ एम सिंगल अगेन' में न होते हुए भी कहानी का सबसे बड़ा खलनायक कालिदास ही था, क्योंकि ऐतिहासिक कहानी का सबसे बड़ा तथ्य यह था कि विद्योत्तमा के राजमहल से निकाले जाने के बाद ज्ञान प्राप्त करके कालिदास महाराजा विक्रमादित्य के राजदरबार का कवि बन चुका था और मालव देश में उसकी वापसी कभी भी हो सकती थी। यह बात चाणक्य के संज्ञान में थी और जब विद्योत्तमा ने चाणक्य से दूसरी बार ब्रेकअप किया तो चाणक्य समझा कि कालिदास की वापसी हो चुकी है और उसी समय महागुप्तचर वक्रदृष्टि ने भी मालव देश में तैनात मौर्य देश के गुप्तचरों से प्राप्त सूचना के आधार पर कालिदास की वापसी की पुष्टि की। वस्तुतः मालवदेश में कालिदास की वापसी के मसले पर मौर्य देश के गुप्तचर विभाग ने बहुत बड़ा गच्चा खाया था, क्योंकि कालिदास को विद्योत्तमा के राजमहल में प्रवेश करते हुए सभी ने देखा था, किन्तु उसकी वापसी कोई नहीं देख सका था, जबकि सच्चाई यह थी कि कालिदास विद्योत्तमा का चरण स्पर्श करने का प्रयत्न करने के बाद विद्योत्तमा को ठुकराकर वापस चला गया था। इस बात का संक्षिप्त उल्लेख सिर्फ़ अजूबी के देश स्वाहा के राजपत्र में किया गया था, किन्तु उस ओर किसी का ध्यान नहीं गया था। मौर्य देश के गुप्तचर विभाग से हुई चूक के कारण कालिदास की वापसी की खबर की पुष्टि होते ही चाणक्य के पास सिर्फ़ एक ही रास्ता बचता था- वह यह कि विद्योत्तमा को एक बधाई-संदेश भेजकर विद्योत्तमा से हमेशा के लिए किनारा कर ले, फिर भी कालिदास की वापसी की अन्तरिम पुष्टि करने के लिए चाणक्य ने मालवदेश की यात्रा की और पाया कि मालव देश के राजपत्र में से वे सभी अभिलेख हटाए जा चुके थे जिसमें चाणक्य का उल्लेख था। इसके अतिरिक्त विद्योत्तमा की बेरुखी को देखते हुए कालिदास की वापसी की घटना को सत्य मानते हुए चाणक्य वापस मौर्य देश लौट गया। चाणक्य की वापसी की ख़बर सुनते ही विद्योत्तमा ने मालवदेश में काला झण्डा फहराकर शोक मनाया, किन्तु चाणक्य ने इसे विद्योत्तमा का हाई वोल्टेज़ ड्रामा समझकर अनदेखा कर दिया।
चाणक्य के मौर्य देश वापस जाने के बाद महारानी विद्योत्तमा भिखारिन और कवियित्री विद्या के भेष में मौर्य देश में आकर रहने लगी। इसे चाणक्यगीरी में विस्तृत रूप से लिखा जा चुका है।
विद्योत्तमा और चाणक्य के ब्रेकअप का समाचार सुनकर विद्योत्तमा की सहेली एवं सेनापति अजूबी भी नाचने-गाने वाली मधुबाला के भेष में मौर्य देश में आकर रहने लगी। कुछ दिन बाद विद्योत्तमा और अजूबी ने अपने-अपने देशों के राजदरबार के कवियों अौर कलाकारों को मौर्य देश में बुला लिया। विद्योत्तमा और अजूबी से सम्बन्धित होने के कारण इन कलाकारों को 'चाणक्य गेस्ट हाउस' में ठहराया जाता। मौर्य देश में एकाएक कलाकारों की लम्बी-चौड़ी भीड़ देखकर आठों दिशाओं से ज्ञान बटोरने में विश्वास रखने वाले महामंत्री राजसूर्य बड़े प्रसन्न हुए तथा विद्या, मधुबाला और अन्य कलाकारों की तारीफ़ों के पुल बाँधते हुए साहित्य-रस का पान करके आनन्दित होने लगे। इसे भी चाणक्यगीरी में विस्तृत रूप से लिखा जा चुका है।
मौर्य देेश में अजूबी को चाणक्य पर डोरे डालता हुआ देखकर विद्योत्तमा ने अजूबी की निन्दा करते हुए मालवदेश के राजपत्र में लिखा- 'ऊपरवाला सब देखता है।'
मालवदेश का राजपत्र पढ़कर अजूबी विद्योत्तमा से लड़ने के लिए मालवदेश पहुँच गई और उसने क्रोधपूर्वक विद्योत्तमा से कहा- 'तुम्हें ऐसा कहने का कोई अधिकार नहीं। तुम्हारा चाणक्य से ब्रेकअप हो चुका है और मैंने अपनी टाँग तुम्हारे ब्रेकअप होने के बाद फँसाई है!'
विद्योत्तमा ने क्रोधपूर्वक कहा- 'टाँग तोड़ दूँगी तुम्हारी। चाणक्य से आज मेरा ब्रेकअप हुआ तो क्या हुआ? कल 'ब्रेकडाउन' भी हो सकता है। चाणक्य मेरा था, मेरा है, और मेरा ही रहेगा।'
इस बात पर अजूबी और विद्योत्तमा में तलवारें खिंच गईं और दोनों में तलवारबाज़ी होने लगी और तलवारबाज़ी में दोनों के कपड़े फट गए।
उसी समय विद्योत्तमा की राजज्योतिषी ज्वालामुखी ने आकर दोनों की लड़ाई बन्द करवाने के लिए चतुराईपूर्वक झूठ बोलते हुए कहा- 'तुम लोग चाणक्य के लिए यहाँ आपस में लड़-मर रही हो और मौर्य देश में मालव देश और मैसूर पर हमला करने के लिए वहाँ की सेनाएँ गुपचुप रूप से तैयारी कर रही हैं।'
ज्वालामुखी की बात सुनकर विद्योत्तमा और अजूबी ने आपस में लड़ना बन्द कर दिया। विद्योत्तमा ने आश्चर्यपूर्वक ज्वालामुखी से पूछा- 'तुम्हें कैसे पता?'
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