Re: कहानी: मिट्टी का माधव
“खुदा का शुक्र है , आज जो धूप निकल आई, पिछले जुमे के बाद से तो सूरज के दीदार ही नही हुए, “ कहते हुए रज्जो चाची ने हाथ में पकडे आचार के मर्तबान मिश्राइन की छत पर धूप में रख दिए.
“ सही कहती हो मुमताज की अम्मी , इस बार की ठंडी तो लागत है जान ले कर ही रही , “ मिश्राइन ने रज्जो की बात का समर्थन करते हुए कहा और उनके बगल में बैठ गयी . और बात को आगे बढ़ाया “ और एक हमार लड़का है मधवा , न जाने इस ठंड पाले में कहाँ कहाँ घूमता भटकता रहिता है , कहिता है आजादी लाना है .... अब रज्जो तुम बताओ का आजादी आ जाने से हम को रोटी बर्तन नहीं करना पड़ेगा या मिश्रा जी हम को मारब पीटब बंद कर देहे ? “
रज्जो ने अपनी चुन्नी से पान का बीड़ा निकाल कर मुंह में दबाया और मिश्राइन के हाथ हाथ रख बताया “ जाने हो मिश्राइन जिज्जी ई आजादी वाजादी सब मुल्क के बड़े नेताओ की समझ की बाते है , हम तो जल्दी से कोई भला सा लड़का देख मुमताज का निकाह पढवा दे यही है हमारी आजादी.” फिर जैसे कुछ याद करके रज्जो बोली “ कल मुमताज के अब्बू न जाने कौन सा नाम ले रहे थे जिन्ना न जाने झिन्ना उनका कहना है की हम मुसलमान अलग मुल्क चाही . अब बताओ जिज्जी ई कौन सी बात हुयी हमे तो न चाही दूसरा मुल्क हमे यही क्या कमी है जो दुसरे मुल्क जायेंगे ? “
“ अरे तुम डरो न मुमताज की अम्मी , उस दिन माधव अपने भाई को बता रहा था तो हमने सुना था की बापू ने कहा की अलग देश उनकी लाश पर बनेगा , अब तुम बताओ कोई महात्मा जी की बात को काट सके है क्या ? “मिश्राइन ने रज्जो को सांत्वना देते हुए खुद से सवाल किया .
“ या खुदा ! अल्लाह उन्हें लम्बी उम्र नवाजे , जहन्नुम में जाये अलग मुल्क “ रज्जो के मुंह से बरबस ही निकल पड़ा .
“ हाँ रज्जो बहन ! उस दिन माधव कह रहा था की जब अपना देश आजाद हो जायेगा तो अपनों का राज होगा , हम ही अपने मालिक होगे . सब साथ में प्यार से रहेगे . अमीर गरीब , हिन्दू मुस्लिम में कोई भेद नही . सब बहुत अच्छा हो जायेगा . “मिश्राइन और रज्जो की आँखों में एक काल्पनिक आजादी के सपने में रंग भरने लगे थे .
कितना गलत गलत समझा था उन्होंने आजादी के मायने को .
और वहीं से थोड़ी दूर पर अपने छोटे से कमरे में मुमताज अपने छोटे से कमरे मिटटी के माधव को अपना हाल बता रही थी .
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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