17-04-2013, 09:47 PM
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#52
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Re: इधर-उधर से
महावीर का पत्र
रजनीश को,
होली के सहज रंगों से
स्फुरित हो कर मेरी शुभकामनाएं
तुम्हारे जीवन लक्ष्य को
इंद्रधनुष की भांति जगमगायेंगी.
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फिर झमका रंग गुलाल सुमुखी
फिर गमका फागुन राग,
फिर चमका मनसिज के नयनों में
रति का नव अनुराग.
फिर फिर आई है होली
सौरभ से, श्लथमद से अलसित
फिर मलय समीरन होली.
लो लहरा यहाँ अबीर
वह देखो मनसिज मार रहा
तक तक फूलों के तीर.
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महावीर
23.2.1977
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