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Originally Posted by jai_bhardwaj
आकर्षक प्रस्तुतियां हम बन्धु ....आभार .
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Originally Posted by jai_bhardwaj
एक बार फिर से उत्कृष्ट प्रस्तुतियों के लिए हार्दिक अभिनन्दन बन्धु….
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हार्दिक धन्यवाद, जय जी. सूत्र पर निगाहें करम डालने और इंसके बारे में सुन्दर व उत्साहवर्धक टिप्पणियों के लिए आभारी हूँ. चार पंक्तियाँ प्रस्तुत हैं:
जो मेरी चार बोलों की जागीर है
आप ही की निगाहों की तासीर है
दुनिया हो गिरफ्तार-ए-नूर-ए-जहां,
मगर वो गिरफ्तार-ए-जहांगीर है.