Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (24 फ़रवरी)
स्टीव जॉब्स / Steve Jobs (Founder of Apple Co.)
स्टीव जॉब्स के अंतिम शब्द / Last words of Steve Jobs
एक समय था जब मैं व्यापार जगत की ऊँचाइयों को छू चुका था। लोगों की नजर में मेरी जिंदगी सफलता का एक बड़ा नमूना बन चुकी थी। लेकिन आज खुद को बेहद बीमार और इस बिस्तर पर पड़ा हुआ देखकर मैं कुछ अजीब महशूश कर रहा हूँ। पूरी जिंदगी मैंने कड़ी मेहनत की, लेकिन खुद को खुश करने के लिए या खुद के लिए समय निकालना जरूरी नहीं समझा। जब मुझे कामयाबी मिली तो बेहद गर्व महशूश हुआ, लेकिन मौत के इतने करीब पहुँचकर आज वो सारी उपलब्धियां फीकी लग रहीं हैं।
इंसान को जब यह लगने लगे की उसने भविष्य के लिए पर्याप्त कमाई कर ली है, तो उसे अपने खुद के लिए समय निकाल लेना चाहिए। बचपन का कोई अधूरा शौक, जवानी की कोई ख्वाहिश या फिर कुछ भी ऐसा जो दिल को तसल्ली दे सके।
किसी ऐसे के साथ वक्त बिताना चाहिए जिसे आप ख़ुशी दे सकें और बदले में उससे भी वही हाशिल कर सकें। क्योंकि जो पैसा मैंने सारी जिंदगी में कमाया उसे मैं साथ लेकर नहीं जा सकता हूँ। अगर मैं कुछ लेकर जा सकता हूँ तो वे हैं यादें। ये यादें ही तो हमारी “अमीरी” होतीं हैं, जिसके सहारे हम सुकून की मौत पा सकते हैं।
मेरी गुजारिश है आप सबसे कि अपने परिवार से प्यार करें, उनके साथ वक्तबिताएं, इस बेशकीमती खजाने को बरबाद न होने दें। खुद से भी प्यार करें।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 25-02-2017 at 04:09 PM.
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