Re: डार्क सेंट की पाठशाला
अहिंसा की ताकत
यह उन दिनों की बात है जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में थे। वे वहां रह कर भारतीयों और अन्य समुदायों के साथ हो रहे भेदभाव का विरोध कर रहे थे। उस समय सभी को यह पता था कि महात्मा गांधी अपना विरोध हमेशा अहिंसा के बूते ही जताते हैं। उन्होने कभी भी हिंसा का सहारा नहीं लिया और अहिंसा ही उनका सबसे बड़ा हथियार होता था। वे सचमुच के हथियारों से घृणा करते थे। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों और अन्य समुदायों के साथ भेदभाव का लगातार विरोध के कारण महात्मा गांधी की लोकप्रियता दिनों-दिन बढ़ती जा रही थी। इससे कई लोग उनके विरोधी हो गए थे क्योंकि उन्हे इस बात की ईर्ष्या होती थी कि महात्मा गांधी अपना विरोध शांतिपूर्ण ढंग से कर रहे हैं। कुछ लोग उनकी हत्या की साजिश रचने लगे। उनके एक मित्र मिस्टर कैलनबैक को इसका पता लग गया। उन्होंने महात्मा गांधी से अपनी सुरक्षा को लेकर सचेत रहने को कहा पर महात्मा गांधी ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया। कैलनबैक परेशान रहने लगे। फिर उन्होंने खुद ही महात्मा गांधी की सुरक्षा करने का फैसला किया। वह जेब में पिस्तौल लेकर चलने लगे। यह बात उन्होंने महात्मा गांधी को नहीं बताई पर उन्हें इसका पता चल ही गया। उन्होंने कैलनबैक को बुलाकर कहा, आप मेरी रक्षा नहीं कर सकते। जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु अनिवार्य है। दूसरी बात यह है कि आत्मा अमर है उसे कोई मार नहीं सकता। इसलिए उसे रक्षा की क्या आवश्यकता है? तीसरी बात यह कि किसी की भी रक्षा हिंसा के साधनों से करना अनुचित है। मेरे पास तो अहिंसा की ताकत है फिर मैं क्यों डरूं। मैं इसी से हर संकट का सामना करूंगा। मैं आपकी भावना का सम्मान करता हूं पर आपका यह तरीका मुझे पसंद नहीं। महात्मा गांधी की इस बात से कैलनबैक बहुत प्रभावित हुए। उस दिन से उन्होंने पिस्तौल लेकर चलना बंद कर दिया।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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