Re: शायर व शायरी
शायर व शायरी
एक रुबाई
साभार: नेहा सिंह
मुझे उसकी कमी खलने लगी है।
जहन्नुम सी ये जाँ जलने लगी है।
मेरी मेहनत मेरे जज़्बे के आगे,
ये किस्मत हाथ अब मलने लगी है।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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