Re: क्विज़ टाइम / किशोर कुमार
किशोर कुमार
साल 1987 की इस कहानी को अधिकांश लोग जानते हैं पर बहुत कम ही लोग जानते है कि किशोर कुमार की ऐसी कौन सी ख्वाहिश थी जिसे पूरा करने की उन्होंने कई बार कोशिश कीं पर इसके बावजूद भी उन्हें असफलता ही मिली। आज 13 अक्टूबर की तारीख है और इस दिन किशोर कुमार की उपलब्धियों के लिए टेलीविजन चैनल्स और अखबारों में उन्हें याद किया जाएगा। लेकिन उनके गायकी कॅरियर की वो कौन सी उपलब्धि थी जिसे चाहते हुए भी किशोर कुमार हासिल नहीं कर पाए?
साल 1950 से लेकर 60 के दशक की शुरुआत तक हिंदी सिनेमा के संगीतकारों की लिस्ट में नौशाद का नाम पहले नंबर पर लिया जाता था। नौशाद ने अपनी फिल्मों में शास्त्रीय संगीत पर आधारित धुनों का बखूबी इस्तेमाल किया और उन्हें क्लासिकल संगीत की समझ ना रखने वाले आम दर्शकों तक भी पनी धुनों को पहुंचाया। नौशाद ऐसे पहले संगीतकार थे जो 50 के दशक में एक फिल्म में संगीत देने के लिए एक लाख रुपए लेते थे।
जाहिर सी बात है जब 60 के दशक में नौशाद राज कर रहे थे तो ऐसे में उनसे जुड़े करीबी लोगों को ज्यादा महत्व दिया जाता था। नौशाद के मनपसंद गायक लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी थे। मोहम्मद रफी, नौशाद के बेहद करीबी थे जिस कारण नौशाद ज्यादातर गायिकी के मौके मोहम्मद रफी को ही दिया करते थे। उन दिनों किशोर कुमार भी गायक बनने का सपना लेकर सिनेमा में आए।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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