Re: कुतुबनुमा
लोकतंत्र की मजबूती के लिए सीआईआई का सुझाव
लोकतंत्र की मजबूती के लिए पिछले दिनो उद्योग मंडल सीआईआई ने जो सुझाव दिया है वह निश्चित रूप से देश और चुनावी व्यवस्था के लिए बेहद कारगर साबित हो सकता है। सीआईआई ने सुझाव दिया है कि कंपनियों सहित सभी आयकरदाताओं पर 0.2 प्रतिशत का लोकतंत्र उपकर लगाया जाना चाहिए और इसी उपकर का राजनीतिक गतिविधियों और देश में चुनाव के दौरान होने वाले खर्च में उपयोग किया जाना चाहिए। इन सुझावों वाली रिपोर्ट सीआईआई ने मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी को सौंपी है और अब आगे इन पर कैसे अमल संभव है इसका आकलन चुनाव आयोग को ही करना है। अगर सुझावों पर आगे बढ़कर काम किया जाए तो तय है कि देश में चुनाव के दौरान होने वाले बेतहाशा खर्च पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी साथ ही देश के हर आयकरदाता को यह महसूस होगा कि वह केवल वोट के जरिए ही नहीं बल्कि अपनी आय के एक हिस्से को देश के ऐसे काम में लगा रहा है जिससे लोकतंत्र मजबूत होगा। इस कदम को पूर्ण रूप से पारदर्शी बनाने के बारे में भी व्यापक सुझाव दिए गए हैं और कहा गया है कि इसमें ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि करदाता सीधे उपकर की राशि का चेक अपनी पसंद के राजनीतिक दल या फिर चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त दल के खाते में डाल सके। आयकरदाता को खुद यह फैसला करने दिया जाए कि वह किस राजनीतिक दल का समर्थन करना चाहता है। अगर कोई आयकर दाता एक से ज्यादा राजनीतिक दल को उपकर की राशि देना चाहता है तो वह ऐसा कर सके इसकी व्यवस्था भी होनी चाहिए। इसके अलावा सुझावों में यह भी कहा गया है कि अगर किसी करदाता द्वारा सीधे राजनीतिक दलों को किया गया भुगतान इस उपकर से कम हो तो शेष राशि को सरकार के खाते में जमा करवा देना चाहिए। इस उपकर सुझाव में सबसे बेहतरीन सुझाव यह भी है कि इस तरह के उपकर देने वाले करदाता को आयकर में छूट का प्रवधान भी किया जाना चाहिए। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सीआईआई ने लोकतंत्र को मजबूत करने के सरकार के प्रयासों को सार्थक करने में मददगार रहने का यह सुझाव देकर अपनी दूरदृष्टि का जो परिचय दिया है वह स्वागत योग्य है। सरकार को इस पर निश्चित रूप से पहल करनी चाहिए।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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