Re: कहानी का रूपान्तरण
बचाव पक्ष के प्रारूप का हिन्दी में सारांश :
बचाव पक्ष ने बॉम्बे हाईकोर्ट में घटना का अपना प्रारूप (Version) प्रस्तुत किया जिसके लिए दो व्यक्तियों के अतिरिक्त न ही कोई गवाह था और न ही कोई सुबूत। सिल्विया का पाप-स्वीकरण सुनकर कुद्ध नानावटी अपने आप को गोली मारना चाहता था, किन्तु सिल्विया ने उसे यह कहकर समझाबुझाकर शान्त कर दिया कि इसमें उसका कोई दोष नहीं है। इसलिए उसके मरने का कोई औचित्य भी नहीं है। चूँकि सिल्विया ने नानावटी से यह नहीं बताया था कि प्रेम उससे विवाह करना चाहता है या नहीं, नानावटी ने यह बात खुद पता लगाने की सोची। नानावटी जब प्रेम से मिलने के लिए उसके शयनकक्ष में गया तो उसी समय प्रेम बाथरूम से नहाकर सिर्फ तौलिया लपेटे हुए बाहर निकला। प्रेम को देखकर क्रुद्ध नानावटी ने पूछा कि क्या वह सिल्विया से शादी करके उसके बच्चों की देखभाल करेगा? प्रेम ने कहा- 'क्या मैं उन सभी लड़कियों से शादी कर लूँ जिनके साथ मैं सोता हूँ?' प्रेम का जवाब सुनकर नानावटी आपे से बाहर हो गया। उसी समय उसने प्रेम को बन्दूक की ओर लपकते हुए देखा। इसके बाद बन्दूक के लिए प्रेम और नानावटी में हुई हाथापाई के फलस्वरूप प्रेम के हाथ से बन्दूक चल गई जिसके कारण प्रेम मारा गया।
Last edited by Rajat Vynar; 16-04-2017 at 05:44 PM.
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