Re: महाभारत के पात्र: कुंती
महाभारत के पात्र: कुंती
एक बार कुंती के यहाँ दुर्वाशा ऋषि पधारे तथा कुंती ने उनकी खूब सेवा सत्कार किया. कुंती की सेवा से ऋषि दुर्वासा संतुष्ट हुए तथा कुंती को वरदान दिया कि वह मन्त्र के उच्चारण के साथ जिस भी देवता का ध्यान करेगी उसे उस देवता के ही समान पुत्र की प्राप्ति होगी.
जब कुंती राजकुमारी थी और अविवाहित थी तब मन्त्र को परखने के लिए कुंती ने सूर्य देवता का स्मरण करते हुए मन्त्र का उच्चारण किया जिसके फलस्वरूप कुंती को कर्ण की प्राप्ति हुई. परन्तु कुंती ने लोकलाज के डर से कर्ण को नदी में प्रवाहित कर दिया.
बाद में कुंती का विवाह हस्तिनापुर के राजा पाण्डु से हुआ. परन्तु एक श्राप के कारण विवाह के कुछ वर्षो के पश्चात है उनकी मृत्यु हो गई थी.
कुंती के अन्य तीन पुत्रों में कुंती द्वारा मंत्र के जाप से धर्मराज के आह्वाहन पर युधिस्ठर का जन्म हुआ वायु के आह्वाहन पर भीम व देवराज इंद्र के आह्वाहन पर अर्जुन का जन्म हुआ था.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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