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Re: महाभारत के पात्र: भीष्म पितामह
महाभारत के पात्र: भीष्म पितामह
भीष्म के जीवन के 16 रहस्य
पहला रहस्य.. यह वह काल था जबकि देवी और देवता धरती पर विचरण किया करते थे। किसी खास मंत्र द्वारा उनका आह्वान करने पर वे प्रकट हो जाया करते थे। देवताओं में इंद्र, वरुण, 2 अश्विनकुमार, 8 वसुगण, 12 आदित्यगण, 11 रुद्र, सूर्य, मित्र, पूषन, विष्णु, ब्रह्मा, शिव, सती, सरस्वती, लक्ष्मी, उषा, अपांनपात, सविता, त्रिप, विंवस्वत, 49 मरुद्गण, पर्जन्य, वायु, मातरिश्वन्, त्रिप्रआप्त्य, अज एकपाद, आप, अहितर्बुध्न्य, यम, पितृ (अर्यमा), मृत्यु, श्रद्धा, शचि, दिति, अदिति, कश्यप, विश्वकर्मा, गायत्री, सावित्री, आत्मा, बृहस्पति, शुक्राचार्य आदि। इन्हीं देवताओं के कुल में से एक मां गंगा भी हैं।
गंगा ने क्यों किया शांतनु से विवाह? पुत्र की कामना से शांतनु के पिता महाराजा प्रतीप ने गंगा के किनारे तपस्या कर रहे थे। उनके तप, रूप और सौन्दर्य पर मोहित होकर गंगा उनकी दाहिनी जंघा पर आकर बैठ गईं और कहने लगीं, 'राजन! मैं आपसे विवाह करना चाहती हूं। मैं जह्नु ऋषि की पुत्री गंगा हूं।'
इस पर राजा प्रतीप ने कहा, 'गंगे! तुम मेरी दाहिनी जंघा पर बैठी हो, जबकि पत्नी को तो वामांगी होना चाहिए, दाहिनी जंघा तो पुत्र का प्रतीक है अतः मैं तुम्हें अपने पुत्रवधू के रूप में स्वीकार कर सकता हूं।' यह सुनकर गंगा वहां से चली गईं।'
जब महाराज प्रतीप को पुत्र की प्राप्ति हुई तो उन्होंने उसका नाम शांतनु रखा और इसी शांतनु से गंगा का विवाह हुआ। गंगा से उन्हें 8 पुत्र मिले जिसमें से 7 को गंगा नदी में बहा दिया गया और 8वें पुत्र को पाला-पोसा। उनके 8वें पुत्र का नाम देवव्रत था। यह देवव्रत ही आगे चलकर भीष्म कहलाया।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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