Re: क्या ये मेरा गुनाह है?
चलो एकबार ये मान भी लिया जाय की सबके भगवान अलग अलग होते हैं तो सोचिये की यदि भगवान अलग हैं तो उन्होंने पूरी दुनिया के लिए एक ही व्यवस्था क्यूँ रखी यदि भगवान अलग होते खुदा अलग होते इशामसीह अलग होते तो वो अपने लोगों के लिए अलग हवा अलग पानी अलग ही जीवन शैली बनाते सबके शरीर जो लहूँ की वजह से चलते हैं आज दुनिया में वो लहू या तो सिर्फ भगवान ने दिया होता अपने हिन्दुओं के लिए या फिर खुदा ने सिर्फ बनाया होता अपने अपनों के लिए हिन्दुओं के सरीर में और कुछ होता जिससे उनका जीवन चलता न ? और क्रिस्चियन भाई बहनों के शरीर में और कुछ होता पर सोचिये जरा की भगवन खुदा या मसीहा सब एक दिव्य सत्ता है अलौकिक सत्ता है जिसकी नज़रों में कोई भेदभाव नहीं है उन्होंने सबके लिए एक ही हवा एक ही तरह का पानी और एक ही लहू दिया और संसार को बताया है की मैं एक हूँ ///,,..दुनिया में कई रंगबिरंगे फूल बनायें है .किसी फूल पर ये कभी कहीं लिखा नहीं मिला की ये फूल सिर्फ मेरे बन्दे के लिए मैंने बनाया है क्यूंकि मैं भगवान हु तो ये हिन्दू का , क्यूंकि मैं खुदा हूँ तो ये फूल सिर्फ मुस्लिम के लिए है और क्यूंकि मैं गॉड हूँ तो ये क्रिस्चियन का है
जिनके लिए हम सभी मानव उनके बच्चों के समान हैं हम सब उसी दिव्या सत्ता के अलौकिक सत्ता के अंश हैं हम सिर्फ मानव हैं इंसान हैं जरुरत है तो उस सर्वोच्च सत्ता को समझने की और उनकी बनाई सृष्टि को संकुचितता त्यागकर व्यापक दृष्टि से निहारने की पर
उस दिव्य और अलोकिक सत्ता के हम इंसानों ने अनेक नाम रख दिए, धर्म बना दिए तब तक ठीक था पर धर्म के नाम पर उसी खुदा के बनाये बन्दों को उसी भगवान के बनायें बन्दों को उसी एशामसीह के बनाये बन्दों को हम क्यूँ जाट पात के भेदभाव के नाम पर धर्म के नाम पर कुचल रहे हैं? एइसे अत्याचार से सोचिये हमारा भगवान हमारा खुदा हमारा इशु खुश होगा ? जरा सोचिये कितना दुःख होता होगा उस दिव्य अलोकिक सत्ता को जिसे हम भगवान , खुदा या मसीहा कहते हैं और हम उन्हें पूजते हैं .
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