Re: मुहावरों की कहानी
मुहावरों वाली कथा
15 अगस्त का दिन था. सारा देश खुश और आजाद था.हम खाली बैठे थे.हमारा दिमाग हमसे पहले ही आजाद था. खाली खाली दिमाग यानी शैतान का घर. हमने सोचा कि कुछ बड़ा काम किया जाए.एक मुहावरा है कि एक पन्थ दो काज. हम क्या किसी से कम हैं? हम एक कहानी लिखेगे, उस में चार काम करेंगे.
हम रह रह कर भगवान का नाम लेंगे.उसके बिना हमारी नाव कब की डूब गई होती.वैसे तो हम अक्ल के दुश्मन हैं.अक्ल के पीछे लट्ठ लिए घूमना हमारा स्वभाव है.हमारा पढ़ने लिखने से जन्मजात वैर है. हमारे तो जीवन का ही यह नियम बन गया है.
जो पढ़ता वह भी मरता है
जो नहीं पढ़ता वह भी मरता है
फिर तू हे मूर्ख बच्चा
सर्दी में क्यों दांत किटकिटाताहै
या
जो पढ़न्त वह भी मरन्त
जो न पढ़न्त वह भी मरन्त
फिर सिर काहे को खपन्त
(क्रमशः)
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|