Re: लघुकथाएँ
माँ के गाल
‘‘पापा माँ के गालों पर लाल गुलाब खिलते हैं न ?’’
‘‘कौन कहता है’’ पापा शक से चौकन्ने हुए आँखों में हरापन और गहरा गया।
माँ के गालों के लाल गुलाब पीले गुलाबों में परिवर्तित होने लगे। मगर मुन्नी इससे बेखबर चहकते हुए बोली, ‘‘मैडम डिसूजा और कौन !’’ पापा की आँखों का भूरापन लौट आया और पीले गुलाब फिर लाल हो गए।
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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