Re: मुहावरों की कहानी
कुत्तों पर मुहावरे या मुहावरों में कुत्ते
कुत्ते की औलाद कहने की भी परंपरा है। टुकड़े-टुकड़े करके कुत्तों के आगे फेंक दूंगा- ये भी कुत्तों को दावत देना है। भंडारे की तरह का। सलमान खान की गाड़ी से अगर कुत्ता मर जाता, तो उसे जेल न होती। एक पूर्व फिल्मी गायक यदि यह साबित कर देता कि जो मरा वह कुत्ता था, तो न्यायपालिका शरमाने लगती। इस घटना में जो घायल हैं, उन्हें यदि उचित मुआवजा मिल जाता, तो वे स्वयं को आदमी साबित कर सकते थे। मगर क्या करें, जिसके भाग में कुत्ते की मौत लिखी हो, उसे कोई नहीं बचा सकता। ये भी सच है कि वफादारी सिर्फ कुत्तों में मिलती है। स्वर्ग के रास्ते पर युधिष्ठिर को एक कुत्ते ने ही गाइड किया था। कुत्तों के पक्ष में एक और बात है। अगर आप कभी घनी रात में अकेले हों और जंगल में रास्ता भूल जाएं, तो तारों की रोशनी में आप आसपास की बस्ती नहीं तलाश सकते। एक ही रास्ता बचता है कि जहां से कुत्तों के भौंकने की आवाज सुनाई दे, समझो उसी तरफ गांव है। बस्ती है। जीवन है।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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