Re: कुतुबनुमा
साथ होने के दिखावे का औचित्य क्या है?
भाजपा और जनता दल (यू) के बीच आखिर कैसी खिचड़ी पक रही है कि दोनो साथ भी रहना चाहते हैं और एक दूजे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने से भी नहीं चूकते। जनता दल (यू) प्रवक्ता केसी त्यागी ने एक नया आरोप भाजपा पर मढ़ा है। उनका कहना है कि पार्टी की कई प्रदेश इकाइयों ने शिकायत की है कि भाजपा उसके साथ गठबंधन धर्म नहीं निभा रही है। कर्नाटक, झारखंड, राजस्थान, महाराष्टñ आदि राज्यों के अध्यक्षों ने इस बात की शिकायत की कि भाजपा गठबंधन धर्म नहीं निभा रही है। भाजपा लगातार लोकसभा और विधानसभा चुनावों में जद(यू) को सीटें कम दे रही है तथा अपनी सीटें बढ़ा रही है। कर्नाटक तथा झारखंड मेें तो उसने गत चुनाव में जद (यू) के साथ गठबंधन भी नहीं किया। अब सवाल उठता है कि जब भाजपा गठबंधन धर्म नहीं निभा रही है तो जद(यू) उसके साथ बना हुआ क्यों है क्योंकि एक तरफ तो जद(यू) कह रहा है कि भाजपा गठबंधन धर्म नही निभा रही वहीं दूसरी तरफ यह भी कहता है कि पार्टी भाजपा से नाता नहीं तोड़ेगी बल्कि उसके साथ उसकी दोस्ती बनी रहेगी। यह दोस्ती कब तक चलेगी यह तो समय ही बताएगा लेकिन ऐसा लगता है कि जद (यू) जिस तरह से प्रधानमंत्री पद के लिए भाजपा से उसके उम्मीदवार का नाम बताने को कह रहा है,उसे शक है कि भाजपा इस मामले में भी गठबंधन का धर्म निभाएगी या नहीं। यह तो जग जाहिर है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच छत्तीस का आंकड़ा है और रविवार को भी उन्होने परोक्ष तौर पर मोदी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि जद(यू) उसी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में मंजूर कर सकता है जिसकी छवि धर्मनिरपेक्ष हो। राजग के ये दल जिस तरह एक दूजे को शक की निगाहों से देख रहे हैं उससे तो इनके साथ होने के दिखावे का औचित्य ही समझ में नहीं आ रहा। कौन कब पल्ला झाड़ लेगा कुछ कहा नहीं जा सकता।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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