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Old 25-10-2015, 10:01 PM   #16
internetpremi
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Default Re: इन्टरनेटप्रेमी

इस मनोरंजक लेख के लिए धन्यवाद।
हम इसे मुस्कुराते - मुस्कुराते पढ़ रहे थे।
हम वाकई डर गए थे आपसे।
आप सोचते होंगे "क्यों?"
बात यह है कि, तमिल मेरी तथाकथित मातृभाषा होने के बावजूद, मेरा ज्ञान बहुत ही कच्चा और अधूरा है।
हम सरल तमिल लिख और पढ़ सकते हैं और आम बोलचाल में प्रयोग होने वाली तमिल में बात कर सकते हैं पर जब भी हमें कुछ उँची बात कहनी होती है, या गुस्से में किसी को डाँटना होता है तो हम rapid fire तमिल बोल नहीं सकते। करुणानिधी और डी.एम.के पार्टी के अन्य सदस्यों के राजनैतिक भाषण हम पूरी तरह समझ भी नहीं सकते।

जब तक मेरे उत्तर भारतीय दोस्त यह सच्चाइ नहीं जानते थे, मैं खुशी खुशी उनका सम्मान अनुभव करता रहा ।
एक तमिल भाषी इतनी अच्छी हिन्दी बोल लेता है ? लोग "impress" हो जाते हैं !

सच बात इस प्रकार है।
मैं तमिल नाडु में कभी रहा ही नहीं हूँ। मेरे पूर्वज अवश्य तमिल भाषी हैं पर कई पीढियों से वे केरळ के पाल्क्काड जिले में रह रहे थे। यह जिला तमिल नाडु और केरळ के border के पास है और States Reorganisation के बाद केरळ में आ गया था। यहाँ तमिल भाषी लोग बोलते वक्त काफ़ी मलयालम के शब्द का प्रयोग करते हैं और उनका बोलने का लहजा भी भिन्न है, यहाँ तक कि शुद्ध तमिल भाषी हमें तमिल भाषी मानने से इन्कार करते हैं।

मेरे पिताजी, १९४५ के आसपास केरल छोड़कर बम्बई (sorry, मुम्बई) में बस गए थे और मेरा जन्म भी मुम्बई में हुआ था। जितनी तमिल जानता हूँ वह अपनी माँ के गोद में बैठकर सीखी थी। अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल में पढाई की थी। पडोसी सभी मराठी/ गुजराती/हिन्दी बोलते थे और बचपन में स्कूल में हमने अंग्रेज़ी और हिन्दी सीखी थी पर बोलते समय हम मुम्बई की अशुद्ध हिन्दी ही बोलते थे। तमिल भाषा हमने औपचारिक रूप से कभी नहीं सीखी।
जितना जानता हूँ वह सब "pick up" किया हुआ है, दोस्तों और रिश्तेदारों से बात करते करते, फ़िल्में देखकर, फ़िल्मी गाने सुनकर, टी वी प्रोग्राम देखकर, वगैरह । शुद्ध तमिल हम जानते नहीं हैं और अभी तक मैं, बच्चों के लिए छपे किताबों को छोड़कर, ढंग की कोई भी तमिल पुस्तक नहीं पढा हूँ।
यह सब मैं आपको इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि मुझे डर था कि कहीं आप मुझे तमिल गुरू समझकर मुझे से कठिन सवाल न करना शुरू कर दें और मुझे शर्मिन्दा न होना पडे।

आपके लेख के कुछ अंश quote करके अपनी टिप्पणी जोड़ रहा हूँ।

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किन्तु हमारे इस कथन से यह समझने की भूल भी न करिएगा कि तमिल भाषा एक अत्यन्त सरल भाषा है और इसे कोई भी बड़ी आसानी के साथ सीख सकता है। वस्तुतः द्रविड़ परिवार की चार दक्षिण भारतीय भाषाओं- कन्नड़, तेलुगु, तमिल एवं मलयालम में से सबसे कठिन भाषा तमिल ही है।
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आपसे पूरी तरह सहमत हूँ। कारण हैं लिपी में अक्षरों की कमी, और यह भाषा संस्कृत पर आधारित न होना। (यह भी समझा जाता है कि तमिल संस्कृत से भी ज्यादा पुरानी है)


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यही नहीं, एक ही 'क' से ख, ग, घ- एक ही 'प' से फ, ब, भ- एक ही 'ट' से ठ, ड, ढ और एक ही 'त' से थ, द, ध इत्यादि अक्षरों को अनुमान के आधार पर पढ़ा जाता है।
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तमिल में aspirated consonants बिल्कुल नहीं होते। मतलब ख, छ, झ, ढ, ध भ का प्रयोग कभी नहीं होता।
अब आप लोग समझ गए होंगे की तमिल भाषी हिन्दी बोलते वक्त उचारण में क्यों गलती करते हैं
उदाहरण : दर्वाजा "कोल" दो। तुमने "काना" "का" लिया?
लाल बहादुर शास्त्री सही लिखने के लिए तमिल में कोई अक्षर ही नहीं मिलेंगे आपको।
तमिल में इस नाम को "लाल पकातुर चाच्तिरी" लिखते हैं और आपको सन्दर्भ से नाम पहचानना होता है। संस्कृत के श्लोक लिखना तो असम्भ्व होता है और जब तमिल ब्राहमणों ने कुछ अक्षर जोड़ना चाहे, (श्री, ह, स वगैरह के लिए) तो उनका कट्टर पंथियों ने डटकर मुकाबला किया और इन अक्षरों को purists कोई मान्यता नहीं देते हैं और कुछ कट्टर तमिल भाषी इसको भाषा का प्रदूषण मानते हैं। वे संस्कृत का कोई भी प्रभाव बर्दाश्त नहीं करना चाहते। ब्राह्मण तमिल भाषी इन अतिरिक्त अक्षरों का प्रयोग करते हैं अपने धार्मिक लेख में।
पर विडम्बना देखिए ! करुणानिधी कितना प्यारा नाम है और 100 % संस्कृत का शब्द है पर वह हिन्दी/संस्कृत का सबसे कट्टर विरोधी है!
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इसके अतिरिक्त तमिल भाषा जैसी बोली जाती है वैसी लिखी नहीं जाती
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बिल्कुल सही ।
लिखते समय நான் வருகிறேன் (नान वरुकिरेन) , पर बोलते समय "नान वरेन" कहते हैं।
"च" जब लिखा होता है, तो कभी वह "च" है, कभी "ज" कभी "स", और कभी "श" या "ष" भी हो सकता है और जब तक आप भाषा नहीं जानते, आप उसे सही पढ़ नहीं पाएंगे।
इसी तरह, "क" का प्रयोग "ग", या "ह" के लिए भी हो सकता है।
इस कारण भारत के अन्य प्रान्तीय भाषा तमिल लिपी में लिखी नहीं जा सकती पर भारत के अन्य लिपियों में केवल एक या दो अतिरिक्त अक्षर जोड़कर तमिल लिखी जा सकती है।
मलयालम में बिना कोई अक्षर जोडे तमिल लिखी जा सकती है और मुझे अब भी याद है कि मेरे माता पिता एक दूसरे को, और मेरे दादा दादी/नाना नानी को तमिल में चिट्टी लिखते थे पर मलयालम लिपी में।

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अतः तमिल भाषा सेन्नै, कोयम्बतूर, तिरुच्चि, होसूर, मदुरै और तिरुनेलवेली आदि जिलों में अलग-अलग लहजे में बोली जाती है।
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यह तो भारत के अन्य भाषाओं में भी आप पाएंगे। मुम्बई की हिन्दी , हैदरबाद की उर्दू, हर्याणा और बिहार की हिन्दी में, सुरत की और काठियावाड़ की गुजराती में क्या फ़र्क नहीं है?


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जिन महानुभावों को हमारे अलौकिक तमिल ज्ञान का वास्तविक राज़ पता है, उनसे मेरा विनम्र अनुरोध है कि कृपया अपना मुँह बन्द रखें और हमारा भण्ड़ा फोड़कर 'भण्ड़ा फोड़ने का अलौकिक आनन्द' लेने की चेष्टा न करें।
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यही अनुरोध मैं भी करता हूँ आप सब लोगों से ! लोगों को सोचने दीजिए कि मैं एक असली तमिल भाषी हूँ। इस pseudo Tamilian का भण्डा कभी न फोड़ना , please.

शुभकामनाए
GV

Last edited by internetpremi; 26-10-2015 at 12:06 PM.
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