Quote:
Originally Posted by आकाश महेशपुरी
एक- मुक्तक
●●●
गिरे हैं गर्त में फिर भी उंचाई ढूंढ लेंगे हम
हलाहल पी लिया लेकिन सुधा भी ढूंढ लेंगे हम
दया के नाम पर जीयें कभी ये हो नहीं सकता
अभी बाजू सलामत हैं कि रोटी ढूंढ लेंगे हम
मुक्तक- आकाश महेशपुरी
|
Quote:
Originally Posted by आकाश महेशपुरी
(सम्पादित)
एक- मुक्तक
●●●
गिरे हैं गर्त में फिर भी ऊँचाई ढूंढ लेंगे हम
हलाहल पी लिया लेकिन सुधा भी ढूंढ लेंगे हम
दया के नाम पर जीयें कभी ये हो नहीं सकता
अभी बाजू सलामत हैं कि रोटी ढूंढ लेंगे हम
मुक्तक- आकाश महेशपुरी
|
अत्यंत श्रेष्ठ मुक्तक है. लेकिन मूल मुक्तक और सम्पादित रूप में मुझे कोई अंतर नज़र नहीं आया.