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Originally Posted by ranveer
एक कविता जो बिलकुल इस परिस्थिति पर ठीक बैठती है -
शिक्षा के क्षेत्र में
हम उच्च व्यवस्थाओं
का दम्भ भरते हैं
लेकिन हमारे यहां हंसों की
विद्वता का मूल्यांकन
कौवे करते हैं।
गधों पर
मखमली दुसाले हैं
अरबी घोड़े
ठण्ड से मरते हैं।
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आज की यही परिस्थिति है रणवीर जी |