Re: मोरा गोरा रंग लई ले
"ऐसा ‘करेक्टर’ घर से बाहर जाकर नहीं गा सकता", बिमल-दा ने वहीं रोक दिया.
"बाहर नहीं जाएगी तो बाप के सामने कैसे गाएगी ?" सचिन-दा ने पूछा.
बाप से हमेशा वैष्णव कविता सुना करती है, सुना क्यों नहीं सकती ?" बिमल-दा ने दलील दी।
"यह कविता-पाठ नहीं है, दादा, गाना है."
तो कविता लिखो. वह कविता गाएगी."
"गाना घर में घुट जाएगा."
"तो आँगन में ले जाओ. लेकिन बाहर नहीं गाएगी."
"बाहर नहीं गाएगी तो हम गाना भी नहीं बनाएगा", सचिन-दा ने भी चेतावनी दे दी.
|