Re: शायरी में मुहावरे
मुहावरा > दिन को दिन, रात को रात न जानना
भावार्थ:
गहरी तल्लीनता / सारे संसार से बेख़बर होना
उदाहरण:
क्या कहिये कटी हिज्र में क्योंकर औक़ात
नै ख्वाबो-ख़ुरिश ध्यान में, नै मौतों-हयात
दिन रात ख़याले-ज़ुल्फो- रूखे- पेशे- नज़र
जाना नहीं, आह, दिन को दिन रात को रात
(शायर: मिर्ज़ा अली नकी ‘महशर’)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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