तुम से कुछ ना होगा
ना, तुम से कुछ ना होगा, पहनो कोई भी चोगा ।
ना, तुम से कुछ ना होगा ।
राग तुम अपना ही गाओ, रो लो अपना रोना,
बस खुद को ही बडा दिखाओ, कहो औरो को बोना।
अपनी ही जो हांके जाए, बनेगा पंडित पोगा ।
ना, तुम से कुछ ना होगा, पहनो कोई भी चोगा ।
गलती सब की बतलाता है, दंड भी देता जाता,
ऐसा ही हुं में...बोल के किस को क्या समज़ाता?
किसने बनाया तुम को पुरी दुनिया का दरोगा?
ना, तुम से कुछ ना होगा, पहनो कोई भी चोगा ।
छोटे छोटे सुख छोड़ कर, कितना धन है झड़पा?
तेरे मन के कल्पित सुख में तन है कितना तड़पा ?
तन की ईन्द्रियों के वश में मन ने कितना भोगा ?
ना, तुम से कुछ ना होगा, पहनो कोई भी चोगा ।
ना, तुम से कुछ ना होगा, पहनो कोई भी चोगा ।
ना, तुम से कुछ ना होगा ।
दीप
(3.12.15)