Re: किस्सा तीन बहनों का
किस्सा तीन बहनों का
परीजाद बोली, अम्मा, तुम्हें इन चीजों के बारे में इतने विस्तार से पता है तो यह भी जानती होगी कि यह वस्तुएँ कहाँ मिलती हैं। मुझे बताओ तो मैं उनकी प्राप्ति का प्रयत्न करूँ। वृद्धा ने कहा, पूरा हाल तो मैं नहीं बता सकती लेकिन इतना बता सकती हूँ कि इस देश में कहीं भी यह चीजें नहीं मिल सकतीं। यहाँ से कोई व्यक्ति अमुक दिशा में जाए और सीधा चलता ही चला जाए तो बीस दिन की यात्रा के बाद जो पहला व्यक्ति उसे मिले उससे पूछे कि यह तीनों वस्तुएँ कहाँ मिलेंगी। वही आगे की राह बताएगा। अच्छा बेटी, अब मुझे काफी देर हो गई है, मैं चलूँगी।
बुढ़िया को यह क्या मालूम था कि परीजाद इतनी साहसी लड़की है कि खुद इन चीजों की तलाश में निकल पड़ेगी। इसलिए इसने विस्तार से वह सब कुछ बता दिया जो उसे मालूम था। परीजाद ने उसकी बताई एक-एक बात याद रखी। वह इस चिंता में पड़ गई कि उपर्युक्त तीनों चीजें कैसे प्राप्त की जाएँ। कुछ देर बाद दोनों शहजादे शिकार से वापस आए तो देखा कि बहन गहरी चिंता में डूबी है। उन्होंने कहा, क्या बात है, परीजाद? तुम्हारी कुछ तबीयत खराब है या कोई बात तुम्हारी मरजी के खिलाफ हो गई। परीजाद ने सिर झुका कर कहा, नहीं, कोई बात नहीं है।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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