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सिख विरोधी दंगे : गवाह का संरक्षण मुहैया कराने का अनुरोध डीएलएसए के पास भेजा
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कांगे्रस के वरिष्ठ नेता सज्जन कुमार की कथित संलिप्तता वाले 1984 के सिख विरोधी दंगा मामलों के गवाहों को संरक्षण मुहैया कराने के लिये दायर जनहित याचिका दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के पास भेज दी। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग ने याचिकाकर्ता के वकील एच एस फुलका से कहा कि वह 24 सितंबर को डीएलएसए सचिव से संपर्क करें। डीएलएसए सचिव को पूर्व में इस तरह के मामलों से निबटने के लिए इस उच्च न्यायालय ने उस समय तक के लिए नोडल अधिकारी नियुक्ति किया था जब तक इस बारे में नया कानून नहीं बन जाता। सीबीआई ने आज अदालत के समक्ष अपनी स्थिति रिपोर्ट पेश की जिसमें कहा गया है कि केवल तीन गवाहों ने खतरे की आशंका जतायी है। जांच एजेंसी की ओर से पेश वकील डी पी सिंह ने कहा कि सीबीआई ने नौ गवाहों संपर्क किया जिनमें से केवल तीन ने खतरे की आशंका जतायी। पीठ ने इससे पहले ‘नवंबर 1984 कार्नेज जस्टिस कमेटी’ की जनहित याचिका पर सीबीआई से स्थिति रिपोर्ट मांगी थी। इस रिपोर्ट में दिल्ली और पंजाब सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि निचली अदालत में मामले के लंबित रहने तक गवाहों को सुरक्षा मुहैया करायी जाये। सिख विरोधी दंगों के दो मामलों के गवाहोंं की सूची का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया कि उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय सहित विभिन्न अदालतों द्वारा विभिन्न फैसलों एवं आदेशों में गवाहों को आरोपियों के प्रभाव में नहीं आने देने और उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने के दायित्व की ओर ध्यान दिलाये जाने के निर्देशों के बावजूद सरकार इनका पालन करने में नाकाम रही है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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