Re: सी की दुनिया
कंप्यूटरों के शुरुआती दौर में कंप्यूटर प्रोग्राम सचमुच इस मूलभूत भाषा में लिखे जाते थे। इस भाषा को यंत्रभाषा (मशीनलैंग्वेज) कहा जाता है। लेकिन यंत्र भाषा में प्रोग्राम लिखने का काम अत्यंत उबाऊ और श्रम-साध्य है। जैसे-जैसे कंप्यूटर अधिक जटिल कार्यों में लगाए जाने लगे, यंत्रभाषा अपर्याप्त सिद्ध होने लगी। तब प्रोग्राम-लेखकों ने उससे उन्नत भाषा का विकास किया, जिसमें यंत्र भाषा के बार-बार प्रयोग में आने वाले अंक-क्रमों के लिए सूचक शब्द (nemonic code) रखे गए। मान लीजिए कि दो संख्याओं को जोड़ने के लिए यंत्र भाषा में यह क्रम चलता हो - 1100101010001101। तो इस अंक-विन्यास के लिए add (जोड़ो) सूचक शब्द रख देने पर, प्रोग्राम में जहां-जहां यह अंक-विन्यास (sequence) आता हो, वहां इस सूचक शब्द का प्रयोग काफी होगा। इसी प्रकार से कंप्यूटर द्वारा किए जाने वाले अन्य कार्यों को सूचित करने वाले अंक-विन्यासों के लिए भी शब्द रखे गए। इन शब्द-प्रतीकों की भाषा को ऐसेंब्ली भाषा कहा जाता है। ऐसेंब्ली भाषा में लिखे गए प्रोग्रामों को यंत्रभाषा में बदलने के लिए विशेष प्रोग्राम लिखे गए, जिन्हें ऐसेंब्लर कहा जाता है। प्रोग्रामर तो अपना प्रोग्राम ऐसेंब्ली भाषा में लिखेगा, लेकिन ऐसेंब्लर उस प्रोग्राम को यंत्रभाषा में परिवर्तित करेगा, ताकि कंप्यूटर प्रोग्राम को समझ सके।
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