Re: सी की दुनिया
लेकिन बहुत जल्द ऐसेंब्ली भाषा भी अनुपयुक्त सिद्ध होने लगी। यह तब हुआ जब निजी कंप्यूटरों (Personal Computers or PC)का दौर आरंभ हुआ। ऐसेंब्ली भाषा यंत्र-निर्भर भाषा है, यानी ऐसेंब्ली भाषा में लिखे गए प्रोग्राम हर प्रकार के कंप्यूटरों पर नहीं चल सकते, वरन उन्हीं कंप्यूटरों पर चल सकते हैं, जिनके लिए वे लिखे गए हैं। जब शुरू-शुरू में थोड़े ही प्रकार के कंप्यूटर होते थे, तो यह स्थिति संतोष जनक थी, लेकिन जैसे-जैसे विभिन्न प्रकार के कंप्यूटर बनने लगे, तो ऐसी स्थिति हो गई कि एक कंप्यूटर के लिए लिखे गए प्रोग्राम अन्य कंप्यूटरों के लिए काले अक्षर भैंस बराबर हो गए। एक और भी कारण था। शुरुआत में तो कंप्युटर का मुख्य काम कंप्युटिंग हीं था पर धीरे-धीरे कंप्युटर का प्रयोग और भी अन्य कामों के लिए होने लगा, और तब प्रोग्रामरों के प्रोग्राम ज्यादा जटिल होने लगे और सूचक आधारित (Nemonics based) ऐसेंब्ली भाषा अब थोड़ा मुश्किल पैदा करने लगी।
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