Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
शिलर: सड़े हुए सेब और घड़ी
जर्मन कवि शिलर अपनी मेज की दराज में सड़े हुए सेब भरे रखता था। उसका कहना था कि वह सड़ी हुई गंध उसके मस्तिष्क को जागरूक बनाए रखती है। वहीं रूसी साहित्यकार चेखव को घड़ी सामने रखकर लिखने की आदत थी। हर वाक्य की समाप्ति पर उनकी निगाह घड़ी पर होती थी।
शरतचन्द्र चटर्जी: एक ही कुर्सी
सुप्रसिद्ध बंगला उपन्यासकार शरतचन्द्र चटर्जी ने अपनी अधिकांश रचनाएं एक ही आरामकुर्सी पर बैठकर पूरी की थी।
|