Re: विभाजन कथा: टोबा टेक सिंह
एक पागल तो हिंदुस्तान और पाकिस्तान, पाकिस्तान, पाकिस्तान और हिंदुस्तान के चक्कर में कुछ ऐसा गिरफ़्तार हुआ कि और ज़्यादा पागल हो गया। झाडू देते-देते वह एक दिन दरख्त़ पर चढ़ गया और टहने पर बैठकर दो घंटे मुसलसल तक़रीर करता रहा, जो पाकिस्तान और हिंदुस्तान के नाज़ुक मसले पर थी, सिपाहियों ने जब उसे नीचे उतरने को कहा तो वह और ऊपर चढ़ गया। जब उसे डराया-धमकाया गया तो उसने कहा, "मैं हिंदुस्तान में रहना चाहता हूँ न पाकिस्तान में, मैं इस दरख़्त पर रहूँगा।" बड़ी देर के बाद जब उसका दौरा सर्द पड़ा तो वह नीचे उतरा और अपने हिंदू-सिख दोस्तों से गले मिल-मिलकर रोने लगा - इस ख़याल से उसका दिल भर आया था कि वह उसे छोड़कर हिंदुस्तान चले जाएँगे।
एक एम.एस-सी. पास रेडियो इंजीनियर में जो मुसलमान था और दूसरे पागलों से बिलकुल अलग-थलग बाग की एक खास पगडंडी पर सारा दिन ख़ामोश टहलता रहता था, यह तब्दीली ज़ाहिर हुई कि उसने अपने तमाम कपड़े उतारकर दफादार के हवाले कर दिए और नंग-धड़ंग सारे बाग में चलना-फिरना शुरू कर दिया।
चियौट के एक मोटे मुसलमान ने, जो मुस्लिम लीग का सरगर्म कारकुन रह चुका था और दिन में पंद्रह-सोलह मर्तबा नहाया करता था, एकदम यह आदत तर्क कर दी - उसका नाम मुहम्मद अली था, चुनांचे उसने एक दिन अपने जंगले में एलान कर दिया कि वह क़ायदे-आज़म मुहम्मद अली जिन्नाह है, उसकी देखा-देखी एक सिख पागल मास्टर तारा सिंह बन गया - इससे पहले कि खून-ख़राबा हो जाए, दोनों को ख़तरनाक पागल क़रार देकर अलहदा-अलहदा बंद कर दिया गया।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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