Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
गांव में जब भी लोगों का पेट फूल जाता तो लोग इसे किचिन का प्रकोप ही मानते थे और आज भी ऐसा ही हुआ। गांव में ही एक भगत जी रहते थे उनको बुलाया गया झाड़-फूंक हुई तब कहीं जा कर यह मामला शांत हुआ। आज तक यह पहेली पहेली ही है कि दर्द कैसे ठीक हो गया। खैर, बचपन से ही इन चीजों मे मेरा विश्वास नहीं था और मैं रात में भी आम का बगीचा मरकटटी बाग चला जाता था।
संयोग से एक शाम मैं साईकिल से बरबीघा से लौट रहा था। झोला-झोली का समय था और सड़क पर एक भी आदमी नजर नहीं आ रहे थे। जैतपुरवली के साथ किचिन प्रकरण अभी परसों ही घटा था और मैं वहां से गुजर रहा था। मरकटी बाग के जैसे जैसे नजदीक आता गया वैसे वैसे कलेजे की धड़कन बढ़ने लगी। चांदनी रात भी बिल्कुल सिनेमाई थी। बाग से अभी थोड़ी दूर ही था कि एक सफेद सी चीज के सड़क पार करने का बहम हुआ। बहम इसलिए कि मैं दाबे से नहीं कह सकता कि किसी चीज को देखा। बस लगा कि जैसे किसी ने सड़क पार किया हो। कलेजे की धड़कन और तेज हो गई। साईकिल की घंटी जोर जोर से बजाने लगा।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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